*पुस्तक समीक्षा*
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम : बाल रामायण (काव्य)
कवि का नाम : दीपक गोस्वामी चिराग
शिव बाबा सदन, कृष्णाकुंज, बहजोई, संभल 244410 उत्तर प्रदेश
मोबाइल 95488 12618
Email Deepakchirag goswami@gmail.com
प्रकाशक : सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन, एन 77, पहली मंजिल, कनॉट सर्कस, नई दिल्ली- 110001
प्रथम संस्करण: 2022
मूल्य: ₹160
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समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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सुमधुर सरल संक्षिप्त राम कथा: बाल रामायण
रामकथा हजारों वर्षों से साहित्यकारों को आकृष्ट करती रही है । महर्षि वाल्मीकि से लेकर हिंदी में गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया । यह क्रम अनवरत जारी है । इसके नवीनतम प्रदेय के रूप में दीपक गोस्वामी चिराग की काव्य कृति “बाल रामायण” को देखा जा सकता है । सरल हिंदी शब्दों में आपने समूची रामकथा को अत्यंत संक्षेप में सबके पढ़ने के लिए प्रस्तुत कर दिया। इसे बाल रामायण केवल इसीलिए कहा जा सकता है क्योंकि यह पढ़ने और समझने में अत्यंत सरल है । खड़ी बोली में समस्त रामकथा बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक प्रस्तुत कर देना कोई हॅंसी-खेल नहीं है ।
दीपक गोस्वामी चिराग ने प्रत्येक प्रसंग को समुचित महत्व देते हुए उसे उचित संक्षिप्तीकरण प्रदान किया है। प्रत्येक कांड का आरंभ स्तुति के द्वारा किया गया है । यह स्तुतियॉं अत्यंत मनोहारी हैं । इनमें कवि का भक्त-हृदय सरलता से प्रतिबिंबित हो रहा है। स्तुति करते समय शब्दों के द्वारा सजीव चित्रण कवि की शब्द-क्षमताओं और काव्य कौशल को दर्शाता है । उदाहरणार्थ :-
श्याम वर्ण शिव-धनु के भंजक, गौर वर्ण सीता हैं साथ
युगल रूप दर्शन मनमोहक, नाथ नवाऊॅं अपना माथ
(प्रष्ठ 17)
कथा क्रम में रचयिता ने प्राचीन रामकथा की प्रमाणिकता का पूरा ध्यान रखा है । मुख्यतः रामचरितमानस को आधार मानकर यह कृति लिखी गई है, अतः स्वाभाविक रूप से उसकी छाप इस कृति में देखी जा सकती है । कवि का अध्ययन न केवल विस्तृत है बल्कि गहरा है। उदाहरण के तौर पर उसने भगवान राम के धनुष कोदंड का नाम लेकर उल्लेख किया है। इससे रामकथा को उसकी बारीकियों के साथ पाठकों को प्रस्तुत करने में कवि की रचनाधर्मिता को समझा जा सकता है ।
पुस्तक जन समूह में श्रोताओं को सुनाने की दृष्टि से बहुत उपयोगी है । कवि ने लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि रचना की संप्रेषणीयता कम न होने पाए :-
एक दिवस की बात सुनो तुम, राजा बैठे थे दरबार
(पृष्ठ 14)
पुस्तक में राम को ईश्वर के रूप में देखा गया है । यह तुलसी के राम की विचारधारा के अनुरूप पूरी तरह सही है । अगस्त्य ऋषि इसीलिए भगवान राम से कहते हैं:-
ऋषिवर बोले यों मुस्काकर, क्यों हॅंसते हमसे श्री राम
जगत विधाता हमसे पूछे, कहॉं बसाऍं अपना धाम
(प्रष्ठ 20)
“बाल रामायण” में समतामूलक समाज के निर्माण पर बल दिया गया है । कवि ने भगवान राम के मुख से यह छंद कहलवाया है:-
प्रभु बोले शबरी मैं देखूॅं, जाति-पॉंति अरु कुल के पार
धन दौलत मुझको कब भाए, मुझको भाता प्रेम अपार
(पृष्ठ 24)
पुस्तक में बड़े सुंदर नीति-वचन भी देखने को मिलते हैं । हताश रावण की मनोदशा को सफलतापूर्वक छंद के माध्यम से कवि ने प्रस्तुत किया है :-
फिर पछताने से क्या होता, चिड़िया जब चुग जाती खेत
कितनी भी ताकत से बॉंधो, मुट्ठी में कब रूकती रेत
(पृष्ठ 34)
रामराज्य का सपना केवल तुलसी या बाल्मीकि का ही नहीं था, वह हर भारतीय के हृदय में आज भी सजीव है । आखिर हो क्यों न ! कवि ने रामराज्य का उचित ही वर्णन करते हुए लिखा है :-
मालदार हो या हो निर्धन, नहीं न्याय में लगती देर
एक घाट सब पानी पीते, या हो बकरी या हो शेर
(पृष्ठ 38)
रामायण के पात्रों का नपा-तुला विवरण पुस्तक के अंत में कवि ने जो दिया है, वह रामकथा पर उसकी गहरी पकड़ को दर्शाता है । कठिन शब्दों के अर्थ देना भी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि कवि पाठकों को कुछ भी ऐसा नहीं सौंपना चाहता जो उनकी समझ से बाहर हो सके।
छपाई आकर्षक है, त्रुटि-रहित है । चिकना कागज और रंगीन कवर पुस्तक को अत्यंत मनोहारी बना रहा है। भीतरी प्रष्ठों पर रामकथा के कुछ सचित्र विवरण एक अतिरिक्त आकर्षण कहा जा सकता है । वर्ष 2022 की यह एक अच्छी सात्विक उपलब्धि है। संयोगवश यह कवि के लॉकडाउन 2021 के समय का भी सर्वोत्तम सदुपयोग है।