पुस्तक समीक्षा-राजाजी की कथाएं
पुस्तक-राजाजी की कथाएं
अनुवादक : एस.भाग्यम शर्मा
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल राजगोपालाचारी (राजाजी) को केवल तमिल साहित्य के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि उन्हें भारतीय इतिहास का चाणक्य भी माना गया है। उनके द्वारा रचित तमिल साहित्य को अलग-अलग भाषाओं के साहित्यकारों ने अपनी लेखनी में ढालते हुए अनुवाद कर पाठकों को सराबोर किया है। इसी में शामिल है राजाजी की तमिल भाषा की कथाओं का हिन्दी अनुवाद।
राजाजी की कथाएँ पुस्तक में वरिष्ठ लेखिका एवं अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा ने चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की मूल तमिल कहानियों का हिन्दी में सरल एवं सुबोध भाषाशैली में अनुवाद किया है, जिसमें ‘पेठे की बेल से लेकर ‘मार्जारी तक कुल पैंतीस कहानियाँ सम्मिलित हैं।
उक्त सभी कहानियाँ प्रत्येक वर्ग के लिए उपयोगी हैं, क्योंकि इनमें जहाँ एक ओर बालकों के लिए नैतिक शिक्षा दिखाई पड़ती है तो दूसरी ओर युवाओं के लिए प्रेरणास्पद पहलु भी सम्मिलित हैं। अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा ने कहानियों को मनोरंजक दृष्टांत के साथ-साथ जीवन के ‘कड़वे सत्य ‘दृष्टिकोण की परिभाषा, ‘अच्छे बुरे की सोहबत का फल, ‘सत्य-असत्य में फर्क, ‘मेहनत का फल एवं
पशु-पक्षियों के जीवन तथा सोच को भी प्रस्तुत किया है। उक्त पुस्तक की सभी कहानियाँ विचारणीय तो हैं ही साथ-साथ मनन करने योग्य भी हैं।
मनोज अरोड़ा
लेखक, सम्पादक एव समीक्षक
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