पुस्तकें 【मुक्तक】
पुस्तकें 【मुक्तक】
■■■■■■■■■
अकेलेपन की साथी पुस्तकें हैं मित्र कहलातीं
कठिन क्षण में प्रदर्शक की तरह से पथ को दिखलातीं
जो निर्धन हैं किसी तरकीब से पढ़ फिर भी लेते हैं
धनिक के घर में आती पुस्तकें हैं सज के रह जातीं
~~~~~“~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451