पुलिस हमारे पास है।
हमारी पुलिस का बड़ा ही निराला अन्दाज़ है।
खाखी वर्दी में देखो सिंह का सर पर ताज है।।
हो कितनी ही ठंडी, गर्मी या हो कितनी बारिश।
पुलिस ड्यूटी पर देखो हर मौसम में तैनात है।।
सारे कार्य पुलिस जहाँ से क्रियान्वित करती है।
संविधान ग्रन्थ में पुलिस थाना उसका नाम है।।
लोगों के हृदयों का यह पुलिस सुलह करती है।
फिर भी सब कहते है होती पुलिस मक्कार है।।
बिन पुलिस के समाज की कल्पना ही बेकार है।
पुलिस ही है जो हर क्षण में हर वर्ग के साथ है।।
त्यौहारों में होता सभी के घरों में हर्षोल्लास है।
सारी खुशियां भूलके पुलिस रक्षा में तैनात है।।
ऐसे कैसे कह देते हो पुलिस पैसों की होती है।
यह कहने से ही देखो पुलिस बड़ी बदनाम है।।
हर वक्त की तत्परता ही पुलिस की पहचान है।
बेसहारा,गरीबों की ये पुलिस होती भगवान है।।
वाद अपवाद तो होता है प्रत्येक क्षेत्र का नियम।
ईमानदार पुलिस वालों में होते कुछ बेईमान है।।
जहाँ पुलिस नहीं है बस अपराध ही अपराध है।
डर जिससे लगे गुंडों को पुलिस की हुंकार है।।
हर नौकरी में मिलता एक दिन का अवकाश है।
पुलिस की नौकरी में होता नहीं कोई इतवार है।।
कोई आपदा , दिक्कत जब समाज पर आती है।
दूर करने को इसे पुलिस होती हर वक्त तैयार है।।
पुलिस को लेकर सभी मन में होती गलत राय है।
पर पुलिस ही सभी का हर-हाल में देती साथ है।।
बिन पुलिस के आम आदमी की ना औकात है।
पुलिस ही है जिस से होता हर गुंडा परेशान है।।
पुलिस का होता ना यूँ कोई धर्म और भगवान है।
पुलिस के लिए बस सबसे ऊपर तो सविंधान है।।
पुलिस बेहतर समाज बनाने का होती आधार है।
यह अपनी पुलिस ही है जो हर धर्म के साथ है।।
मेरा कहना मानों तुम सब अपने मन को बदलो।
गर रूठी पुलिस तो सबका जीवन ही बेकार है।।
मुझे तो फख्र होता है और तुम्हें भी होना चाहिए।
किस्मत वाले है हम जो ये पुलिस हमारें साथ है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ