पुलवामा14 फरवरी
ये गुलाब उनके लिए जो अब नही रहे ।।।।।।।
खून बह रहा है रगों में इसलिए खौला जा रहा है
सही सलामत हूँ इसीलिए कलेजा मुँह को आ रहा है
बयॉ करें दर्द कैसे अपना दर्द भी कराहता जा रहा है
सड़क पर टुकड़ो में बिखरा जवान नजर आ रहा है
किसको तलाशेगे कैसे और कैसे पहचान पाएंगे
कैसे जानेंगे कि कौन जलाएं और कौन दफनाए जाएंगे
वीर सपूतों के खून से आज फिर यह धरती लाल हुई
किसी भी कौम के हो तुम पर इंसानियत शर्मसार हुई
कितनों का वैलेंटाइन आज हमेशा के लिए सो गया
कितनों का बचपन पिता के साए से महरूम हो गया
कितनो की अॉखे पथराने के लिए सूख गई
बाप को था जाना पर अर्थी कॉधा बदल गई।।।