पुलवामा के वीर सपूत
मां भारती के कदमों में।
अपना सब कुछ लुटा दिया ।
पुलवामा के वीर शहीदों ने
भारत मां का क़र्ज़ उतार दिया।
तिरंगें में लिपट गए पर
भारत मां पर आंच न आने दी।
स्वतंत्रता की वेदी पर
अपना सब कुछ वार दिया।
उन बुढ़ी मांओं के आसूं
रोते रोते सूख गए
पिता ने देखे थे जो सपने
पल भर में ही वो टूट गए ।
जो पिया मिलन की आस लगाए
बैठी थी चौबारे पे ।
उनके हाथों के चूड़ी कंगन
पल भर में ही टूट गए ।
उन मासूमों की किलकारी
जो बदली थी सिसकियों में।
उनके सर से पिता का साया
पलभर में ही छूट गया ।
कुछ देशद्रोहियों के खातिर
यह दिन भारत में आया था
घर के भेदी बनकर के सोने की
लंका को ढ़हाया था ।
यह भूल न जाना गद्दारों
यह मोदी जी का भारत है
तुमने पचास को मारा था,
हम हजार मार के आऐंगे ।
गर तुम बन्दूक चलाओगे
हम भी गोले बरसाएगें
जो मेरे घर घुस आए थे,
उनको उनके घर जाकर मारेंगे।
उन वीर सपूतों की शहादत को,
हम जाया नहीं जाने देंगें।
भूलने न देंगें हम अपने ,
वीरों की कुरबानी को।
बच कर न जाने देंगें ,पुलवामा के गद्दारों को।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ