पुरुष दिवस – 2
तपती धूप में पसीना बहाते है जो
अब थोड़ी राहत उनको भी दी जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
परिवार की परवरिश में व्यस्त है जो
उनको भी थोड़ा अब सम्मान दिया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।
करता है परिवार की रक्षा जो
क्यों न उसको भी कभी जताया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
हर वक्त सीमाओं की सुरक्षा करता है
उस सिपाही को भी थोड़ा सम्मान दिया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।
दिन रात काम करता है जो
मरहम उसको भी लगाया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
फाइलों के बोझ तले दबे है जो
उनको भी थोड़ा अब सम्मान दिया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।
है वो भी तो लाल किसी का
कभी उसको भी याद किया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
ख्याल रखता है मां बाप का हमेशा
घर के बेटे को भी थोड़ा सम्मान दिया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।
जीवन समर्पित कर देता है अपने बच्चों के लिए
क्यों न उसको भी थोड़ा याद किया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
जो हर कष्ट झेल जाता है अपने बच्चों के लिए
उस बाप को भी थोड़ा सम्मान दिया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।
निभाता है जो रिश्ता साथ फेरों का
उसको भी अहसास दिलाया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए
जिस सुहाग की सलामती के लिए व्रत करते हो
क्यों न उसको भी कभी बताया जाए
क्यों न अब पुरुष दिवस भी मनाया जाए।।