” पुरुषोत्तम राम हैं ” !!
( चैत्र नवरात्र के शुभ अवसर पर )
गीत
जाने कितने ग्रन्थ हैं राम पर लिखे गये !
जाने कितने काव्य हैं , राम पर रचे गये !
सरल सहज सुभाष्य है , राम ही का नाम है !
सबके अधरों पर चढ़ा , राम सिर्फ राम है !!
राम एक चरित्र है जिसको जी रहे हैं हम !
राम नाम है सुधा जिसको पी रहे हैं हम !
राम ह्रदय में बसे हैं , गुंजरित सा नाम है ,
सुबह उठ चले तो राम , शयन पर भी राम हैं !!
राम अगर कामना तो , राम वंदना भी हैं !
कर्म गर प्रधान हैं तो , कर्म चाहना भी हैं !
कर्मवीर हम हुए तो , भेद ये जान गये ,
राम चाहना अगर तो , वंदना भी राम है !!
राम सत्य से बंधा है , प्राण है न मोह का !
राम अगर आलिंगन , नाम है बिछोह का !
प्रेमपगे राम हैं तो , प्रेम से परे भी हैं ,
चाहे जितने प्रश्न हों , समाधान राम हैं !!
खलभंजक , जननायक हैं , सबके वे प्राणप्रिय !
सिय के आराध्य सदा , सबके हैं बसे हिय !
जन जन वंदन करें तो , सभी जपे राम हैं !
जीवन भर पीया गरल , पुरुषोत्तम राम हैं !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )