पुरुषों को भी जीने दें !
पुरुषों को भी जीने दें !
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आपको किसने कहा था….
मेरा पीछा करने के लिए !
और यदि पीछा किया भी तो….
बीच राह में साथ छोड़ने के लिए !!
क्या दिल सिर्फ़ औरतों के ही
पास हो सकता !
क्या हम पुरूषों के पास
दिल नहीं होता….?
क्या आप इतने नाज़ुक हैं….
कि कष्ट सिर्फ़ आपको ही होता !
क्या पुरुष इतना ज़्यादा कठोर हैं….
कि उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होता….??
सच तो यह है कि…..
जब एक दूसरे के साथ…..
कभी कोई ज्यादती होती है….
तो कष्ट दोनों ही पक्षों को….
समान रूप से ही होता है !
जितना दर्द आपको होता है….
उतना ही दर्द हमें भी होता है !!
आपके दिल पे जो भी बीतती है ,
वो सब हमारे साथ भी होता है !
आपके दिल में दर्द जो छुपा है ,
हममें उससे कम कुछ भी नहीं है !!
जो कुछ घटित कभी हो आपके साथ ,
उसे हमारे जीवन से भी गुजारकर देखें !
पुरुषों के जीवन की कठिनाईयों पर भी ,
तनिक अपनी नज़र भी दौड़ाकर देखें !
आप जो भी आरोप हमपे थोप रही हैं ,
उसे थोड़ा अपने मथ्थे चढ़ाकर तो देखें !!
औरों के भी जीवन के बारे में सोचेंगी तो….
खुद की समस्याओं का हल निकल आएगा !
राहगीरों के क़दम में कदम मिलाएंगी तो….
आसान से प्रयासों में मंज़िल मिल जाएगा !!
जीवन को इतना पेंचीदा भी ना बनने दें !
खुद भी जियें और पुरुषों को भी जीने दें !
जीवन की प्रगति दोनों पे ही निर्भर करती ,
आपस में सहभागिता बनाकर जीना सीखें !
इक खुशहाल ज़िंदगी का आनंद उठाना सीखें !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 27 सितंबर, 2021.
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