||पुराने प्रेम की दस्तक ||
“सालों लगे भुलाने में तुमको
फिर से याद तुम क्यूँ आये हो
पत्थर दिल कर गए थे जिसको
उससे मंदिर नए बनाये है ,
यादों की चिता में जली हु मै
क्यूँ याद बन आखों में आये हो
भूले हो वो किस्से सब या
फिर से याद कराने आये हो ,
दिल के इस मंदिर में अब
क्या पाखंड नया रचा पाओगे
ईश्वर के प्रेम प्रसादो को
क्या फिर से अपना पाओगे ,
जीयी जो बन विधवा अब तक मै
क्या उनका दर्द भुला पाओगे
ना चाह हो प्यार की फिर से अब
क्या वो एहसास दिला पाओगे ||”