Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2017 · 1 min read

||पुराने प्रेम की दस्तक ||

“सालों लगे भुलाने में तुमको
फिर से याद तुम क्यूँ आये हो
पत्थर दिल कर गए थे जिसको
उससे मंदिर नए बनाये है ,
यादों की चिता में जली हु मै
क्यूँ याद बन आखों में आये हो
भूले हो वो किस्से सब या
फिर से याद कराने आये हो ,
दिल के इस मंदिर में अब
क्या पाखंड नया रचा पाओगे
ईश्वर के प्रेम प्रसादो को
क्या फिर से अपना पाओगे ,
जीयी जो बन विधवा अब तक मै
क्या उनका दर्द भुला पाओगे
ना चाह हो प्यार की फिर से अब
क्या वो एहसास दिला पाओगे ||”

Language: Hindi
214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
विजय कुमार अग्रवाल
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
gurudeenverma198
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
Sonam Puneet Dubey
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
sudhir kumar
नहीं-नहीं प्रिये!
नहीं-नहीं प्रिये!
Pratibha Pandey
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
इशरत हिदायत ख़ान
अकेला बेटा........
अकेला बेटा........
पूर्वार्थ
...
...
*प्रणय*
श्वान संवाद
श्वान संवाद
Shyam Sundar Subramanian
4568.*पूर्णिका*
4568.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आप सभी को ईद उल अजहा मुबारक हो 🌹💖
आप सभी को ईद उल अजहा मुबारक हो 🌹💖
Neelofar Khan
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
किस क़दर बेकार है
किस क़दर बेकार है
हिमांशु Kulshrestha
कभी आंखों में ख़्वाब तो कभी सैलाब रखते हैं,
कभी आंखों में ख़्वाब तो कभी सैलाब रखते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ईश्वर की अजीब लीला है...
ईश्वर की अजीब लीला है...
Umender kumar
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
23Win
राही
राही
Neeraj Agarwal
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पीत पात सब झड़ गए,
पीत पात सब झड़ गए,
sushil sarna
फूल है और मेरा चेहरा है
फूल है और मेरा चेहरा है
Dr fauzia Naseem shad
My Chic Abuela🤍
My Chic Abuela🤍
Natasha Stephen
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
बटन ऐसा दबाना कि आने वाली पीढ़ी 5 किलो की लाइन में लगने के ब
बटन ऐसा दबाना कि आने वाली पीढ़ी 5 किलो की लाइन में लगने के ब
शेखर सिंह
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
Bindesh kumar jha
"सुख-दुःख"
Dr. Kishan tandon kranti
लोगो खामोश रहो
लोगो खामोश रहो
Surinder blackpen
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
Loading...