पुराने कपड़े
निकलकर जिस्म से अपनी ,
रूह ने मैयत से पूछा ।
कल तक तो तू थी अपनी ,
आज बेगानी कैसे हो गई ?
यह तो फिर वही बात हो गई ,
की जिस तरह एक इंसान का ,
उतारे हुए पुराने कपड़ों से ,
दिल बेजार हो जाता है।
निकलकर जिस्म से अपनी ,
रूह ने मैयत से पूछा ।
कल तक तो तू थी अपनी ,
आज बेगानी कैसे हो गई ?
यह तो फिर वही बात हो गई ,
की जिस तरह एक इंसान का ,
उतारे हुए पुराने कपड़ों से ,
दिल बेजार हो जाता है।