पुरानी दोस्ती
वक़्त की दीवार पर लिखी उस,
पुरानी इबादत को पढ़ते है।
जो वर्षों से दूर है दोस्त अपनें,
अब उनसे भी मुलाकात करते हैं ।
इस वर्ष फ़्रेंडशिप डे पर,
कुछ कम ऐसा करते है।
जो वषों से दूर है दोस्त,
चलो अब याद उनको करते है ।
डूबे है जीवन के सागर में इतने,
भूले हुए है जो यारी पुरानी,
सुनाए उन्हें यादों की कुछ कहानी ।
बताएं उन्हें ये बात मुह जुबानी,
की यारों से ही है अपनी ये ज़िंदगानी ।
जो नाराज़ है किसी बात पर,
जिनसे हम नाराज़ है किसी बात पर।
चलो कुछ से माफी मांग लेते है ,
कुछ की गलती को माफ करते हैं ।
कुछ इस तरह हम अपना नजरिया बदलते हैं ।
अब ‘पुरानी दोस्ती’ और दोस्तों को याद करते हैं ।
वो बचपन के झगड़े, वो बचपन की यादें
स्कूल कॉलेज की बातों को भी याद करते हैं
चलो दोस्तों के लिए कुछ ऐसा करते है
वो बचपन के झगड़े, वो बचपन की यादें
स्कूल कॉलेज की बातों को भी याद करते हैं
पकड़ के कमर, रेलगाड़ी बनाएं,
कागज को मोड़े, कस्ती बनाएं,
कभी मोड़ कागज जहाजें बनाएं,
कंचो में बचपन की छाया को देखें,
गिल्ली और डंडे में बचपन को ढूंढे,
एक बार मिलते है फिर रास्ते में,
फिर कुछ खेल ऐसे ही अब खेलते हैं,
जो वषों से हैं दूर के बचपन साथी,
उलझे हुए रोजी रोटी में हैं वो,
घरेलू समस्या में जूझे हुए हैं,
उन्हें एक अपनी झलक हम दिखाएं,
बचपन की कुछ तस्वीरें दिखाए,
सुनाए उन्हें अपनी यादों के किस्से,
वो पहली दोस्ती और मोहब्बत के किस्से,
दास्तां सुनें कुछ कुछ उन्हें भी सुनाएं ।
फैलाकर “प्रकाश” अपनी दोस्ती का,
नफरत के अंधेरे को दूर करते है।
इस “फ़्रेंडशिप डे” पर कुछ काम ऐसा करते है।
जो वषों से बिछड़े है हमारे दोस्त,
दिल की गहराई से उनको भी याद करते है।