पुरानी तूलिका से नए चित्र उकरने हैं
पुरानी तूलिका से नए चित्र उकरने हैं
पुराने राग से नए स्वर देने हैं
कोहरे की चादर ओढ़े बीते जा रहा दिसंबर ….
कल की सी बात नया साल आ रहा है धीरे-धीरे
पुराने शब्दों से नवीन सृजन कर लेने है,
भुला कर बीती बातें यादें बस मीठी रख लेने है।
-सीमा गुप्ता