पुरस्कार
कविता
पुरस्कार
– बीजेन्द्र जैमिनी
जब से मुझे मिला है पुरस्कार
कोई मेरे पाँव छूँता है
कोई मुझे आर्शीवाद देता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे से
पुस्तक का विमोचन करवाता है
कोई मुझे से
कार्यालय का उदृधाटन करवाता है
कोई मुझे से
सरकारी नौकरी की सिफारिश करवाता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे साहित्यिक उत्सव का
मुख्य अतिथि बनता है
कोई मुझे परिचर्चा का
मुख्य वक्ता बनता है
कोई मुझे अपना
मार्ग दर्शक बतता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे पर कविता लिखता है
कोई मुझे पर लेख लिखता है
कोई मुझे से हस्ताक्षर लेता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।