*पुरस्कार तो हम भी पाते (हिंदी गजल)*
पुरस्कार तो हम भी पाते (हिंदी गजल)
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( 1 )
पुरस्कार तो हम भी पाते
यदि थोड़े संबंध बनाते
( 2 )
जिसे मिला सम्मान-पत्र है
जूते उसके घिस-घिस जाते
( 3 )
पद ऊँचा वह ही पाएँगे
मक्खन जो दिन-रात लगाते
( 4 )
जिनके मन में लोभ बस गया
अपमानों से कब घबराते
( 5 )
वादे करते हैं नेताजी
लेकिन उनको नहीं निभाते
( 6 )
यह कहावतों की भाषा है
तारे कौन तोड़ कर लाते
(7)
अपने पेशे से सब नाखुश
ढोल दूर के मगर सुहाते
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451