पुनर्जन्म का साथ
पुनर्जन्म का साथ
कभी-कभी कुछ रिश्ते होते बेनाम
बस मिलने पर दे जाते सुखद मीठा एहसास,
उनके होने ना होने का फर्क नहीं पड़ता खास
ना होकर भी लगते हैं वो हैं हमारे आस-पास
न होती है उन रिश्तों में कोई आस
हम चाह कर भी कर न पाते हैं इन्कार
न जाने क्यूं जुड़ा ही रहता इतना लगाव
उम्र भर नहीं कर पाते उनसे अलगाव
सब कुछ पाकर भी लगता वो भी है जीवन का मुकाम
वो एहसास ऐसा कि होगा शायद कोई पुनर्जन्म का साथ!!!!
खुद का खुद से होता है सवाल्ौ
सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान