पुतले
बुराई पर अच्छाई की
जीत के प्रतीकात्मक रुप में इस बार
संक्रमण की वैश्विक आपदा के समय
नहीं जलेंगे पुतले
आतंक , व्यभिचार , बलात्कार
भ्रष्टाचार के चारों ओर घूमते
बेखौफ़ घूमते इन प्रवृत्तियों के
जीते जागते इंसान रुपी
अनेक पुतलों के बीच
बेरोजगारी की बढ़ती चादर ओढ़े
आम इंसान आज भी भटक रहा है
तलाश में विभीषण की
बताने को नाभि इन जीवित पुतलो की
आपदा से परे
इस बार भी नहीं जलेंगे ‘ सुधीर ‘
प्रतीकात्मक पुतले हमेशा के लिए…………..