पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है/मंदीप
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है/मंदीप
ढूढो गे तो मिलूँगा श्मसान मेरा ठिकाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
उठा लिया आज लोगो ने अपने कंदो पर,
रोना धौना तो बस अब एक बहाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
आया था जिस हाल मै इस जहान में
एक दिन उसी हाल में मैने चले जाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
आती क्यों नही आज कल नींद रातो को,
बिस्त और तकिया तो एक बहाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
छोडूगा ना दामन मै तुम्हारा कभी
अगले जन्म मैने फिर तुम्हारे पास आ जाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
जी लो खुल कर “मंदीप” तुम भी
सासो का कहा कोई ठिकाना है।
पुतला हूँ मिटटी का मैने तो एक दिन मिट जाना है।
मंदीपसाई