पुण्य धरा भारत माता
** गीतिका **
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पुण्य धरा भारत माता का, हम मन से सम्मान करें।
अखिल विश्व के हर कोने में, यशगाथा गुणगान करें।
कष्ट सहन करती है माता, अपनी संतानों के हित।
हमें चाहिए अपनी मां के, पूर्ण सभी अरमान करें।
सर्वप्रथम माता ही हमको, जीवन का संबल देती।
इसी हेतु यह धर्म हमारा, सेवा कर्म महान करें।
खुशियों से खिलता जीवन हो, माता हर्षित हो हर पल।
सभी समय हम मां को अर्पित, फूलों सी मुस्कान करें।
प्रथम ज्ञान माता से मिलता, जीवन है आगे बढ़ता।
विश्व गुरू भारत माता का, नैसर्गिक अधिष्ठान करें।
गंगा यमुना पावन नदियां, अमृत छलकाती अविरल।
पर्वत घाटी और सागर का, ऊंचा मन में स्थान करें।
स्थान मातु का सर्वोपरि है, अटल विश्व में सत्य यही।
बात यही हम गांठ बांध लें, प्राणों का अवदान करें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)