©”पुण्यों का परिणाम है जीवन बस यूँ ही नहीं गवाना है” डॉ. अमित कुमार दवे, खड़गदा
©”पुण्यों का परिणाम है जीवन बस यूँ ही नहीं गवाना है”
-अमित कुमार दवे, खड़गदा
आज मन में ठाना है, सहज जीवन में रहना है।
खुद में खुद का ही अब सहज दर्शन करना है।।
आवरण मुक्त होना है, नजदीक स्वयं के आना है।
वक्री समझ हटाना है, अब दर्शन निज का करना है।।
खुद में सबको पाना है, खुद ही अब सब हो जाना है।
माया-भ्रम के व्यापार परे अब मौलिक ही अपनाना है।।
पहाड़ प्रपंचों का होता जीवन अब तो यहाँ बचाना है।
पुण्यों का परिणाम है जीवन बस यूँ ही नहीं गवाना है।।
स्वयं प्रज्ञा का भान भूला था अब मुक्त उसी से होना है।
व्यर्थ प्रलापों से ऊपर उठकर वरण स्वयं का करना है।।
प्रतापी भारतों की भूमि पर भारत स्वयं को बनना है ।
केतन धर्म का सहज उठाने दर्शन निज का करना है।।
दर्शन स्वयं का करके ही अब दर्शन जग का करना है।
स्वयं छलते जग को फिर आत्म साक्षात्कार कराना है।।
पुण्यों का परिणाम है जीवन बस यूँ ही नहीं गवाना है।
स्वयं छलते जग को फिर आत्म साक्षात्कार कराना है।।
सादर प्रस्तुति
©अमित कुमार दवे, खड़गदा,