पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप ।
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप ।
प्रायश्चित का वारि तब, धोता उनकी छाप ।।
मुँह से निकली बात के, लग जाते हैं पैर ।
बात बतंगड़ गर बने, बढ़ जाते हैं बैर ।।
धन दौलत औ शोहरत, तेरी उत्कट चाह ।
पगले, तू तो चल पड़ा, बरबादी की राह ।।
फल तो उसके हाथ है, करना तेरे हाथ ।
निरासक्त हो कर्म कर, देगा वो भी साथ ।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद