पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
खिले जा रहे फूल साथ में, नन्हीं कलियां।
आनंदित हो रहे सभी के, भाव भरे मन।
और खुशी से छलक रही हैं, सबकी अखियां।
~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २३/११/२०२३
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
खिले जा रहे फूल साथ में, नन्हीं कलियां।
आनंदित हो रहे सभी के, भाव भरे मन।
और खुशी से छलक रही हैं, सबकी अखियां।
~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २३/११/२०२३