पुकार
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* * * * * पुकार * * * * *
आओ मोहन
मोहन आओ
पलक बिछाऊं करूँ सुआगत
ब्याकुल मन मन नहीं मानत
कूकर जात बहुत खिजावत
हुई अति इति बन धाओ
मेरी देह समाओ
आओ मोहन
मोहन आओ
बिसरी नींद राह तकत हैं
नयना कोर नेह भीजत हैं
मलेछ मलिन गारी बकत हैं
हुई सौ – सौ छिमा बिसराओ
चक्र सुदरसन लाओ
आओ मोहन
मोहन आओ
बंसीधर केसव गोपाला
जग अँधियारा सूरज काला
अघाये का मइया भयी निवाला
करो दोफार पुनि न मिलाओ
वाम सीधे सीधा वाम गिराओ
आओ मोहन
मोहन आओ
हे वासदेव यसोदानन्दन
जमुना तीरे घनन – घना – घन
पिरथवी माता पत्थर का वन
विसादग्रस्त धनुर्धारी आन समझाओ
बुद्धि बोझ हटाओ
आओ मोहन
मोहन आओ
खायो माखन मटकी फोरी
गोपिन पकरी तुमरी चोरी
ठहरा मैं चोर पास नहीं कौरी
मोरे मुँह न लगे समझाओ
नवराजन पाठ पढ़ाओ
आओ मोहन
मोहन आओ
नरनायक हे रणवीरा
हे रणछोड़ अनुपम मतिधीरा
दामोदर सुत हीरा का हीरा
निस्तेज हुई जात चमकाओ
सीधी राह दिखाओ
आओ मोहन
मोहन आओ । ।
वेदप्रकाश लाम्बा ९४६६०-१७३१२