पुकारे प्यार से कोई
मुक्तक-१
*
पुकारे प्यार से कोई नहीं अवसर गँवा देना।
कभी इनकार मत करना उधर ही पग बढ़ा देना।
अधिक मत सोचना मुश्किल नहीं उलझन यहाँ कोई।
मुहब्बत का सुमन अपने हृदय में तुम खिला देना।
मुक्तक-२
*
बहुत हैं खूबसूरत पल नहीं तुम भूल पाओगे।
नजारे देखने सुन्दर प्रकृति के पास आओगे।
कभी अपनी नजर से देखना खिलते हुए गुल को।
सभी कुछ भूलकर सौंदर्य में तुम डूब जाओगे।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य