पुकारा है
दिल से उसने मुझे पुकारा है।
खुशनुमा हो गया नज़ारा है।
धड़कने बात कह रहीं दिल की
खामुशी ने किया इशारा है।
चाँद बिंदिया बना तिरी कैसे
झुक के तकने लगा सितारा है।
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
दर्द मीठा सा क्यूँ उभारा है।
पूछती है फिज़ा हसीं नीलम
क्या तुम्हें इश्क ये गवारा है।
नीलम शर्मा ✍️