*”पीढ़ी”*
पीढ़ी
पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है प्रथायें।
रीति रिवाजों का सिलसिला लगातार रूढ़ि वादी परम्परा कथायें।
भागमभाग जिंदगी आधुनिकता की दौड़ में भागते ही जायें।
सच्चा सुख कसमे वादे पूरे कर ,
प्रेम दया करुणा विश्वास जगायें।
धर्म के मार्ग पर चलकर मान मर्यादा सम्मान पा जायें।
पीढ़ी दर पीढ़ी चलता समय का पहिया बस अंतराल में घूमते ही जाये।
सूरज चंदा अनगिनत तारों संग जीवन के नियम अनुशासन बनाये।
जीवन के बुनियाद पे टिका हुआ संघर्षो से जूझते हुए जाये।
मानवता का इतिहास पुराना ,
रिश्ते नाते से जुड़ते ही जाये।
कहीं दूर जाने अनजाने में पास होने की मौजूदगी एहसास दिलाये।
आज कल और आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेम सत्य करुणा का अनोखी पहल कर जाये।
शशिकला व्यास✍️