पीहर
सुबह सवेरे उठती हूं तो याद पीहर की आती है!
मां की ममता पिता की आवाज बहुत आती है!!
जब भी लगती हूं सुबह सवेरे घर के काम पर!
घर का आंगन पिता का प्यार भाई की मुस्कान!!
बहन की मस्ती दादी का दुलार दादा का प्यार!
मां की ममता बहुत सताती है सुबह सवेरे उठती हूं!
तो बस याद पीहर की आती है!…………..
लेखक:- उमेश बैरवा