पीले कपड़ों में सजा, इतराये मधुमास(दोहा गीत)
पीले कपड़ों में सजा, इतराये मधुमास
पुलकित है पावन धरा, जन मन में उल्लास
कुहू कुहू का गा रही, कोयल मीठा गान
सन सन चलकर ये पवन,खूब मिलाये तान
चला युगों से आ रहा, बासन्ती इतिहास
पीले कपड़ों में सजा, इतराये मधुमास
सूरजमुखी ,डहेलिया, खिलता सुर्ख गुलाब
लिए फूल की टोकरी, खड़ा बसन्त जनाब*
आपस में सब कर रहे,हास और परिहास
पीले कपड़ों में सजा , इतराये मधुमास
दिल पर सीधे चल रहे , कामदेव के तीर
लगा प्यार के लेप को, दूर करेंगे पीर
कुदरत धरती पर उतर, रचा रही है रास
पीले कपड़ों में सजा, इतराये मधुमास
पतझड़ को कह अलविदा, सोना उगलें खेत
बीत न जाये ये समय , मानव मन तू चेत
होता पूरे साल में, माह बहुत ये खास
पीले कपड़ों में सजा, इतराये मधुमास
18-02-2022
डॉ अर्चना गुप्ता