पीयूष वर्ष छंद (वर्षा वर्णन)
(पीयूष वर्ष छंद)
बिजलियों की गूंज, मेघों की घटा।
हो रही बरसात, सावन की छटा।।
ढोलकी हर ओर, रिमझिम की बजी।
हो हरित ये भूमि, नव वधु सी सजी।।
नृत्य दिखला मोर, मन को मोहते।
जुगनुओं के झूंड, जगमग सोहते।।
रख पपीहे आस, नभ को तक रहे।
काम-दग्धा नार, लख इसको दहे।।
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पीयूष वर्ष छंद विधान:-
यह 19 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। चार पद, दो दो सम तुकांत।
2122 2122 212 (गुरु को 2 लघु करने की छूट है। अंत 1S से आवश्यक। यति 10, 9 मात्रा पर।)
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया