पीपल
मै पीपल का
प्रतिष्ठित पुराना पेड
प्रतिवर्ष
पीत परिधानों को
पलटते-पलट्ते,
प्रियजनो को प्रिय हो गया!
करती है प्रदछिणा
प्रज्ज्वलित करती है दीपक,
क्योंकि उन्हे मेरे ऊपर
ब्रह्म वास का भ्रम हो गया!!
कोई नही सुनता
मेरे अन्तस की पुकार,
या मेरा चीत्कार-
“पलायन करो,पीछा छोडो,
क्योंकि मै अब,
अन्दर से खोखला हो गया!!”
बो्धिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुँज सिकन्दरा आगरा २८२००७