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11 Jun 2023 · 1 min read

पीड़ा

दिल की पीड़ा में हर रोज अब जल रहा हूँ मैं
प्रेम की आग मे तप के कैसा ढल रहा हूँ मैं
इतंजार करके यह मन दि‍न रात है तड़पता
तुम्हारे वास्ते शायद स्वयं को छल रहा हूँ मैं
अभिषेक शर्मा

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