पिशाच
शर्म आती है कहते हुए
हमको नर पिशाच भी उसको
ये होगा अपमान नर का
जो कहेंगे नर पिशाच उसको
नर कभी कर नहीं सकता
ऐसा घिनौना कृत्य दुनिया का
लूट न पाया असमत तो
गला ही काट दिया बिटिया का
चीख किसी बिटिया की
कैसे अनसुनी कर सकता है कोई
जिसने किया वो पत्थर है, नर
कहलाने का हकदार नहीं है कोई
वो तो सिर्फ पिशाच ही है
उसको सिर्फ पिशाच कहें हम
है न वो नर ना ही पशु कोई
वो तो पिशाच है उसे सिर्फ
और सिर्फ पिशाच कहें हम।।