पिय की छवि
पिय की छवि ऐसी बसी, और न भावै कोय।
मन रोवै दै हूकरी, जिस दिन दरश न होय।।
प्रेम का पथ है अनन्त, नहि इसका है अंत।
प्रेम बिना है जिंदगी, सुख में लगा हलंत।।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
पिय की छवि ऐसी बसी, और न भावै कोय।
मन रोवै दै हूकरी, जिस दिन दरश न होय।।
प्रेम का पथ है अनन्त, नहि इसका है अंत।
प्रेम बिना है जिंदगी, सुख में लगा हलंत।।
जयन्ती प्रसाद शर्मा