पिया की आस (तीज दोहे)
कर सोलह सिंगार अब, पिया मिलन की आस।
अंखियां पथराने लगीं, बैठी रही उदास।।
पिया हैं व्यस्त काम में, हरियाली का तीज।
आसमान पर क्रोध है, उतरेगी अब खीज।।
बहुत देर में जब हुआ, प्रियतम का दीदार।
बाहों में कुछ देर को, सिमट गया संसार।।
माला उसके नाम की, जपती उसका नाम।
उसकी राधा मैं बनी, वो मेरा घनश्याम।।
© अरशद रसूल