पिया कब तक निहारू मैं अब द्वार पे डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
पिया कब तक निहांरू मैं अब द्वार पे
डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
चैन चूड़ी चुराती रही रात दिन,
मैंने काटे विरह के सभी पल हैं गिन
चौंक उठती हूँ पायल की झंकार पे
ध्यान दो कुछ मेरी आज मनुहार पे
पिया कब तक निहारू मैं अब द्वार पे ।
डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
राह तकती तुम्हारी मैं दिल थाम के
सिर्फ वादे तुम्हारे सुबह शाम के,
धडकनें बढ़ रहीं रात श्रृंगार की
आ भी जाओ कि ऋतु आ गई प्यार की
मुझको पूरा यकीं है मेरे प्यार पे,
पिया कब तक निहारू मैं अब द्वार पे
डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
अनुराग दीक्षित