पितृ पक्ष में कौवों की सभा
एक बार की बात है कि सभी कौवों ने मिलकर,
एक सभा की पितृ पक्ष से बहुत परेशान होकर।
कैसे पितृ पक्ष से हम सब अपनी जान छुड़ाए,
जिनके घर में हो बूढ़े उनको कैसे खाना खिलाएं।
एक एक करके प्रस्ताव आए बहुत से,
पर कोई पास न हो सका बहुमत से।
अंत में एक बूढ़ा कौवा दुखी होकर गिड़गिड़ाते बोला,
बुढ़ापे के कारण उसने अपना थोड़ा सा मुंह खोला।
भाईयो ,प्रस्ताव तो सभी के बड़े सुंदर और अच्छे थे,
कोई प्रस्ताव पास न हो सका क्योंकि वे सब झूठे थे।
चूंकि मैं सबसे बूढ़ा हूं और बूढ़ों की व्यथा जनता हूं,
मेरा प्रस्ताव है पितृ पक्ष में उन घरों का खाना न खाए,
जिस घर में में बूढ़ों को भूखा रक्खा जाय।
प्रस्ताव सभी को पसंद आया तालियों से गड़गड़ाया,
इसलिए यह प्रस्ताव बहुमत से तुरंत पास हो पाया।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम