पितृ-दिवस / (समसामायिक नवगीत)
०
पितृ-दिवस
पर डाल रहे हैं
पुत्र,पिता
की डी.पी.।
०
बहुआयामी
मुस्कानों से
सज्जित चेहरे ।
झूठ-मूठ के
पाँव पकड़ते
होकर दुहरे ।
०
इंस्टाग्राम
दिखाकर उनका
बढ़ा रहे
हैं बी.पी. ।
०
चकित हृदय
से,मुस्काते
हैं पापा
अविरल ।
समझ न आता
उनको कुछ
भी, क्यों है
हलचल ?
०
नवयुग का
यह नया पर्व
है, नई
है रीती ।
०
पितृ-दिवस
पर,डाल रहे
हैं,पुत्र पिता
की डी.पी. ।
०
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।