पितृ दिवस पर
जीवन भर बेशक नही, रहा तात का साथ ।
सर से आशीर्वाद का,हटा नही पर हाथ ।।
हुई सयानी बेटियाँ,….. नही रहा ये ध्यान !
पिता खिलौनो की अभी, ढूँढ रहा दूकान !!
माँगा जो भी दे दिया,किया नही इन्कार !
पापा जैसा दूसरा ..हुआ नही दातार !!
रमेश शर्मा.