खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
हों कामयाबियों के किस्से कहाँ फिर...
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
कोई रहती है व्यथा, कोई सबको कष्ट(कुंडलिया)
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक सन्त: श्रीगुरु तेग बहादुर
आस नहीं मिलने की फिर भी,............ ।
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
23/117.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
दोहे- उदास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'