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21 Apr 2022 · 1 min read

पिता

पिता
शब्द नहीं परिवार पिता है
खामोशी से प्यार पिता है ।
जग जाहिर है माँ की ममता
मगर असली आधार पिता है ।
धूप,बारिश,सर्दी से बचने को
जैसे छत और दीवार पिता है ।
पीढ़ी दर पीढ़ी की निशानी
रीति-रिवाज संस्कार पिता है ।
हो हैसियत कुछ भी जहां में
बच्चों के लिए संसार पिता है ।
माँ की तारीफें करता हर कोई
पर असल में हकदार पिता है ।
-अजय प्रसाद

5 Likes · 4 Comments · 163 Views
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