पिता
शीर्षक :-पिता👏
पिता वो शक्स जो चुपचाप, सब सह जाता है।
मन के भावों को किसी से कह नहीं पाता है।।
बच्चो का पेट भरकर जो,भूखा ही सो जाता है।
दिन रात परिवार के सपने सच करता जाता है।।
पिता है तो बचपन के, सब खिलौने अपने है।
बच्चे मेरे सुख में रहे, उनके बस यही सपने है।।
पिता का है साथ तो, दुनियां से लड़ सकते है।
पिता जैसा त्याग, बेटे कभी नहीं कर सकते है।।
पिता वो जो अक्सर, आंसू छिपा जाता है।
पिता वो शक्स……………..
मन की पीड़ा को,जो चेहरे पर छाने नहीं देता।
किसी भी बुरे साये को हम तक आने नहीं देता।।
पिता वो जो ऊपर से सदा, गुस्सा दिखाता है।
शायद चुपके से अकेले में, आंसू बहाता है।।
आपके कांधे पर बैठ, मेला दिखना मुझे याद है।
प्रभु आपको लंबी उम्र दे, बस यही फरियाद है।।
मुझे गर्व है पापा, कि मै आपका बेटा हूं।
सबको ऐसा पिता मिले ,ईश्वर से यही कहता हूं।।
पिता पहला शिक्षक ,जो चलना सिखाता है।
पिता वो शक्स जो चुपचाप, सब सह जाता है।।
कवि~ हंगामा धामपुरी
कुमार शिवेन्द्र कौशिक