“पिता”
वो जानता है की वो सख्त हैं
छोटी छोटी शाखाओ से झुका हुआ दरख्त हैं,
वो जानता है की वो नही दिखा पता माँ की तरह अपनापन
थोड़ा सा उसमे रहता है रुखापन,
जो भी करता है ज़ताया नही करता
फर्ज का नाम देकर बताता है अपना बड़प्पन
वो जानता है वो पिता है
और पिता हमेशा मजबूत होता है l