पिता
माँ नैया , पतवार पिता हैं ।
जीवन का आधार पिता हैं ।
नहीं मुझे चिंता रोटी की ,
जब तक पालनहार पिता हैं ।
जिस माँ ने मुझको जन्म दिया ,
उसका भी संसार पिता हैं ।
संघर्षों में घिरी हूँ जब – जब ,
खड़े हुए , हर बार पिता हैं ।
भूल समझने की मत करना ,
कि तेरे , कर्जदार पिता हैं ।
बना हमें उत्तराधिकारी ,
ना लेते अधिकार पिता हैं ।
हृदय हुआ है तब -तब छल्ली ,
जब देखूं , लाचार पिता हैं ।
सभी ज़रूरत पूरी करते ,
मेरे तो सरकार पिता हैं ।
बिना स्वार्थ के हम बच्चों को ,
करते सच्चा प्यार पिता हैं ।
प्रतिभा स्मृति
दरभंगा (बिहार )