पिता
पिता का प्यार,उनका दुलार,महका दे हमारा संसार।
उनकी मेहनत से ही महके,भविष्य के सपनो का घरबार।।
कभी हमे संस्कार सिखायें, बुद्धि वृहद कुशाग्र बनाये,
कभी डांट फटकार लगायें, कभी स्नेह का पाठ पढ़ायें,
ऐसे होते हैं पापा, ऐसा होता है उनका दुलार,
पिता का प्यार,उनका दुलार,महका दे हमारा संसार।।।।
जिम्मेदारी की गाड़ी का पहिया बन वो चलाते हैं,
न हो क्लेश कभी जीवन मे यही सोच घबराते हैं,
नित नित नये प्रयाशो से, सब का जीवन महकाते है,
अपने बच्चों के भविष्य की, उज्वल नींव बनाते हैं,
सत कर्म के पथ पर चलकर ,करते हम सब का बेड़ा पार,
पिता का प्यार,उनका दुलार,महका दे हमारा संसार।।।।
जीवन के हर मोड़ पे हम, इस नाम से जाने जाते हैं,
जीवन मे जिनके पिता नही,वो बड़े अभागे कहलाते हैं,
करो इबादत इनकी तुम ,संसार मे पूजे जाओगे,
साकार किये जो सपने इनके,भव सागर तर जाओगे,
जब तक पड़ती छाया इनकी ,खुशियों से सजता रहता घर बार,
पिता का प्यार,उनका दुलार,महका दे हमारा संसार।।
तरुण त्रिपाठी