पिता 3( गतांक 2 स आगा अंतिम)
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दू नू भाई बहिन 3BHKफ्लैट किराया लेलक, आधुनिक सुख सुविधा के सभ समान छलै,शीला ब्रह्ममूहूर्त मे जागि के पूजा पाठ क दूनू ले नास्ता आ लंच तैयार क दै,तखन चाय बना क दूनू के जगवै।
चाय पीना काल शीला कहलकै तू दूनू जखन ड्यूटी पर चलि जाइ छै एसगर घर काट दौडैत अछि।नव नगर केकरो चिन्हवो नहि करैत छियै,अगल बगल के लोक हरदम दरवाजा बंदे खेने रहैत अछि,सर संबंधी सभ सेहो जे छथि से सभ कत छथि किछु नहि बुझैत छियै।भरि दिन कतेक टी वी देखू।कतेक किताब पढू,की करू मोन होइत अति तीस हजारी चलि जाऊं और फेर स अपन काज शुरू करि,पाई लेल नहि अपना के व्यस्त रखवा लेल।दूनू भाई बहिन के संगे बाजि उठल कोनो काज नहि छै एहि समस्या का समाधान तकैत छी।
अनमोल बाजल मॉ उठ चल एक टा जगह देखवैत छियौ, फ्लैट स बाहर आयल ओटो केलक दू किलोमीटर पर एक टा राम जी के मंदिर छलै,आ बगल मे बड़का पार्क । अनमोल कहलकै एत प्रतिदिन रामायण के पाठ तीन स चारि होई छै,तकर बाद पार्क चलि आ दू घंटा एत बैस रंग बिरंग के लोक सभ के देखिहें, दू चारि दिन में अपने संगी भ जेतौ अदिति त छ बजे चलि अवैत अछि हमर कोनो ठेकाने नहि अछि,मुदा आब तोरा कोनो काज नहि करै के छौऊ।
शीला के दिनचर्या बदलि गेलैन्ह,धीया पुता के विदा कर घर ठीक ठाक क क शीला मंदिर आ पार्क जाय लगलि।एक दिन अनायास मंदिर मे एक आदमी पर नजरिए पडलै खिचड़ी केश आ बढल दाढ़ी मोछ,शीला अकान लागलि ओहो व्यक्ति शीला दिस एक टक देख रहल छल,आई रामायण मे फूलवारी मे सीता क भेंट राम स भेलैन्ह,प्रकरण चलि रहल छल,प्रवचन कखन खत्म भेलै दूनू नहि बुझि सकल।
जखन सभ श्रोता चलि गेल त पुरूष पुछलखिन,आहॉ शीला छी?
शीला आहॉ जीतेन्द्र छी?
हॉ हम जीतेन्द्र छी,एत कत?
दूनू उठि पार्क दिस विदा भ गेला, पार्क मेअंत में बेंच पर बैसल नेबो बला चाय पिवैत जाइत गेला।
शीला कहू कै के टा बाल बच्चा अछि? की करैत अछि? पत्नी कत छथि?
जीतेन्द्र मंद मंद मुस्काइत एके टा उत्तर देलकै हम अविवाहित छी।
शीला के बकोर लागि गेलै।
जीतेन्द्र पुछलकै जे आहॉ के?
शीला आद्योपांत सभटा कथा कह लगलि आंखि स दहो बहो नोर बहि रहल छल। जीतेन्द्र रूमाल निकालि क नोर साफ करैत बाजल विवाह क क आहॉ दुःखी छी नहि क क त हम सहजहि दुःखी छी।
जीतेन्द्र इनकमटैक्स कमीश्नर भ गेल छल खुश सुन्दर एक टा बंगला छलै, ओ शीला के आग्रह केलकै जे बंगला पर चलू,शीला नहि नहि कहि सकलि।
जीतेन्द्र के ड्राइवर गाड़ी लक ऐलै ,आई बीस वर्ष स ओ जीतेन्द्र के गाड़ी चला रहल छल पहिल दिन साहेब संगे कोनो महिला के देखने छल।
पछिला सीट पर शीला और जीतेन्द्र दूनू बैसल,कनि काल में बंगला पर पहुंचल। शीला जहिना भीतर गेल ओकरा चक विदोर लागि गेलै,शीला के मैट्रीक के एडमिट कार्ड वला फोटो पैघ करा क
पॉचो कोठरी आ हाॅल मे टांग छलै,नौकर चाकर सभ मुदा घर त घरवाली के लक होइत छैक।सभ समान जै तैं राखल ।
समय भगेलै साढ़े छः अदिति फ्लैट पर आयल पहिल दिन एहन भेलै जे मॉ नहि छल,अशुभ अंदेशा स कोढ़ काॅप लगलै,फोन लगौलक, शीला तुरंत फोन उठेलक कहलकै एक् टा परिचित भेंट गेल सुनके संग गप्प में समय के ध्यान नहि रहल, जीतेन्द्र फोन लैत कहलकै बेटा बहुत दिन पर भेंट भेल अछि एहि पता पर अनमोल आ आहॉ चलि आऊ रात्रि में सभ कियो संगे खाना खैव काल्हि त रवि छैहे।पता हम ह्वाटस एप क दैत छी।
आधा घंटा में दूनू भाई बहिन पता पर पहुंच गेल जीतेन्द्र और शीला के अतीत सुनि चारू खूव कानल।
जीतेन्द्र खाना के आडर क देलकै। अनमोल आ अदिति कैम्पस में टहलै के बहाने निकलल अदिति कहलकै आई जीवन में मॉ के उन्मुक्त भ क हॅसैत देखलियै अछि, कतेक कष्ट सहि क हमरा सभ के लायक बनेलक।
अनमोल गुमे रहल। परात रवि छलै अनमोल एकटा होटल बुक केलक, विभाग के बडका बड़का पदाधिकारी आ संगी साथी सभ के पार्टी के नाम पर निमंत्रित केलक,डी यू के कुलपति आ आदिति के मित्र सभ सेहो निमंत्रित भेला।
संध्या काल स्टेज स अनमोल धोषणा केलक जे आई छीब्बीस वर्ष की बाद हमरा आ अदिति के ” पिता” भेटला,हमर मॉ के पति और इनकमटैक्स कमीश्नर जीतेन्द्र जी के पत्नी भेटल छैन्ह,ताहि उपलक्ष्य में आजुक आयोजन थिक। शीला आ जीतेन्द्र जी के खिस्सा संक्षेप में कहलक,।
सभ अतिथि गण अनमोल क एहि काज के मुक्त कंठ से प्रशंसा करैत रहल, पुलिस कमिश्नर स्टेज पर आवि क घोषणा केलैन्ह,जे अनमोल क,एहि अनमोल काज लेल आऊट आप टर्न हिनकर प्रोन्नति के अनुशंसा करव।एहि उपलक्ष पर दिल्ली पुलिस विभाग के उपहार मानल जाऊ।
शीला जीतेन्द्र एक दोसर के देख रहल छल आ होटल बाला गाना बजा देलकै
“दो सितारों का जमीन पर है मिलन आज की रात…….”
समाप्त
हमर प्रोफाइल मे तीनू किस्त अछि पढू।
आशुतोष झा
01/07/2021