पिता
मेरी जिंदगी मे रहा वो हर वक्त
कभी दोस्त कभी गुरु के रूप मे
मेरी हर ख्वाहिश उसने पुरी की
भले जलता रहा हो वो धूप मे
मुझे गिरते हुए को सम्भाला है
पल पल हौसला बढ़ाया है
गलतिया मेरी सभी माफ कर
बडे ही प्यार से समझाया है
वो मेरे पिता जी है
जो सदा मेरे साथ रहे
किसी फरिश्ते के रूप मे
मेरी जिंदगी मे रहा वो हर वक्त
कभी दोस्त कभी गुरु के रूप मे