पिता
जन्म देकर इस जहाँ में आप ही लाये पिता
कर मुरादें आज पूरी जाँ लुटाये है पिता
गोद में खेली सदा तेरी जहाँ से बे खबर
झूलती ही मैं रही इन बाहु झूले है पिता
अब जिगर टुकड़ा हमेशा ही रहेगी ये पुत्री
हर खुशी कुर्बान बेटी पर करे ये है पिता
सींच कर अपने पसीने से बडा हमको करे
फिक्र अपनी फिर कभी भी वो न करते है पिता
आज वो जाती पिया परदेश पीले हाथ कर
जो दुखी मन से सुता को कर विदा दे है पिता
याद मुझको है बहुत आते नहीं जब पास मैं
पीर मेरी जब जरा सुन आ जो चले है पिता
यह धरा , अम्बर लगे सूना बिना अब तात के
प्यार उनका बाँध लें जो आज मेरे है पिता