पिता
तु पिता , तु आशरा मेरा
तु खुशियों का संसार है।
तुमसे ही सुसंगठित परिवार हमारा
तु ही खुशियों की बहार है।
तु बोझ उठाता सबका
तुझमें शक्ति अपार है।
परिवार के तुम दाता
तुमसे ही चलता परिवार है।
खुशियों का आनन्द मेैं पिता से पाता ।
खुद ना खाता हमें खिलाता ।
खुद न सोता हमें सुलाता ।
कितना भी दुख पिता उठाता ।
फिर भी हँसता और मुस्काता ।
हमारी खुशियों के लिये
पिता हमारा कितना बोझ उठाता ।
देख हमारी आँखों मे आँसू
दिल उसका भर आता ।
कहा मिलता इतना प्यार
जो पिता हमारे लिये लेकर आता।
जो खुद नही खाता।
हमारे लिये न जाने क्या – क्या लेकर आता ।
छोटा-सा परिवार अपना ।
बडा रोल पिता निभाता।
बीत गये है वो पल
आज भी पिता का प्यार हमे याद आता।
भले ही साथ ना हो वो हमारे
उसका अहसास हमें, हर मुश्किलों से लडना सिखाता।
मुश्किल था खुद को समझाना।
आज दुनिया में,पिता से बढकर कोई नजर नही आता।
माता है प्यारी अपनी
उसकी ममता में जीवन अपना सफल हो जाता।
पिता परमेश्वर अपने सब आशीष उन्ही से आता।
हे पिता परमेश्वर मेरे
सब खुशियाँ मैं तुमसे पाता।
हे नमन पिता के कमल चरणों में
उसके आभार से जीवन अपना सफल हो जाता ।
*** *** *** *** **** ***
* Swami Ganganiya *