पिता
पिता (कविता)
वटवृक्ष – कल्पवृक्ष घर का मुखिया ।
हर-पल सुख-दुःख में सदैव साथ निभाया ।।
अपने चेहरे के भाव छुपाकर ,
जिम्मेदारी निभाना ।
अपने बच्चों को उच्च शिखरों पर पहूंचाना ।।
कभी स्नेह , कभी डांट फटकार अनुशासन रखना ।
लेकिन जज्बातों , ख्वाहिशों को पूरा करना ।।
संघर्ष , साहस से मौन रहकर एकरुप परिवार रखना ।
सदा भविष्य संवारने पिता ही बलशाली रहना ।
राजू गजभिये
Writer & Counselor
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र ,हिंदी साहित्य सम्मेलन बदनावर जिला धार (मध्यप्रदेश)
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