पिता
“पिता” – काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह
“पिता”
पिता वो शिव है
जो जीवन का मंथन कर
परिवार के कष्टों का विष
स्वयं धारण कर
सुख वैभव रूपी अमृत
अपनी संतान को देता है…
पिता वो गहरा सागर है
जो अपने हृदय की
अथाह गहराईयों में छिपे
मुक्तामणि रूपी आशीर्वाद से
औलाद को जिंदगी की विषमताओं से
सुरक्षित रखता है…
पिता वो पारस है जिसे छूने भर से
संतति सोना हो जाती है…
पिता सब्र का घूंट पी कर
परिवार को एक सूत्र में पिरो
अनुशासित और सुसंस्कृत कर
कर्मपथ पर अडिग रहता है…
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नेहा शर्मा ‘नेह’
मोहाली, पंजाब